झारखंड के विद्युत परियोजनाएं
झारखंड के विद्युत परियोजनाएं ( Power Projects of Jharkhand ) एंव उनके स्थापना ओर उत्पादन क्षमता के बारे मै विस्तृत जानकरी दी गयी है । ओर आपको ये बता देना चाहते है, की झारखंड राज्य का गठन 15 नवम्बर 2000 को किया गया था , झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है जिसके कारण यहा के शिक्षा का अभाव है, लेकिन झारखंड मै विद्युत उत्पादन करनी की क्षमता बहुत है, क़्यंकी झारखंड एक खनिज संपदाओ से परिपूर्णराज्य है । तथा यहा बहुत सारी नदिया भी जिसके कारण से यहा जल विद्युत उत्पादन करने की बहुत संभबनाए है
झारखंड के विद्युत परियोजनाओं की सूचि ।
झारखंड मै कुल मिलाकर 13 विद्दुत परियोजना है । और आपको ये जानना चाहिए की झारखंड इन विद्युत परियोजनाओं से खुद का ऊर्जा खपत को भी पूरा करता है। और यहाँ से बहुत से राज्यो को बिजली मुहिया करवाता है ।
परियोजना का नाम |
स्थापना बर्ष |
विद्युत उत्पादन क्षमता |
1. पतरातू ताप विद्युत परियोजनाए | 1952 | 670 मेगावाट |
2. तेनूघात ताप विद्युत परियोजना | 1953 | 450 मेगावाट |
3. बोकारो ताप विद्युत परियोजना | 1955 | 830 मेगावाट |
4. चन्द्रपुरा ताप विद्युत परिजोयना | 1966 | 780 मेगावाट |
5. दामोदर घाटी जल विद्युत परियोजना | 1948 | 104 मेगावाट |
6. स्वर्णरेखा जल विद्युत केंद्र | 1982 | 130 मेगावाट |
7. कोन्नार जल विद्युत केंद्र | 1955 | 40,000 मेगावाट |
8. बोकारो जल विद्युत शक्ति | 1967 | 385 मेगावाट |
9. मेथन जल विद्युत केंद्र | 1958 | 76,00 मेगावाट |
10. तिलैया जल विद्युत केंद्र | 1953 | 60,000 मेगावाट |
11. बाल पहाड़ी जल विद्युत शक्ति | 1959 | 20,000 मेगावाट |
12. बर्मी जल विद्युत शक्ति | 1560 | 28,000 मेगावाट |
13. पंचेत जल विद्युत परियोजना | 1960 |
40,000 मेगावाट |
झारखंड के प्रमुख ताप विद्युत परियोजनाए ।
ध्यान दे – झारखंड मै चार ताप विद्युत सयन्त्र है जो पतरातू , तेनुघाट , बोकारो , चन्द्रपुरा आदि मै है। इन चारो ताप विद्युत सयन्त्र से झारखंड के एक बहुत बड़े हिस्से हो बिजली मिलता है ।
परियोजना का नाम |
स्थापना बर्ष |
विद्युत उत्पादन क्षमता |
1.पतरातू ताप विद्युत परियोजना | 1952 | 670 मेगावाट |
2. तेनूघात ताप विद्युत परियोजना | 1953 | 450 मेगावाट |
3. बोकारो ताप विद्युत परियोजना | 1955 | 830 मेगावाट |
4. चन्द्रपुरा ताप विद्युत परिजोयना | 1966 | 780 मेगावाट |
झारखंड के विद्युत परियोजनाएं एंव उनके बारे मैं संक्षिप्त जानकारी ।
1.पतरातू ताप विद्युत परियोजनाए :– पतरातू विद्युत परियोजना इसकी स्थापना 1952 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 670 मेगावाट बिजली मिलती है
2. तेनूघात विद्युत परियोजना :– टेनुघाट विद्युत परियोजना इसकी स्थापना 1953 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 450 मेगावाट बिजली मिलती है ।
3. बोकारो ताप विद्युत परियोजना :– बोकारो विद्युत परियोजना इसकी स्थापना 1955 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 830 मेगावाट बिजली मिलती है ।
4. चन्द्रपुरा ताप विद्युत परिजोयना :– चन्द्रपुरा ताप विद्युत परियोजना इसकी स्थापना 1966 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 780 मेगावाट बिजली मिलती है ।
5. दामोदर घाटी जल विद्युत परियोजना :- दामोदर घाटी जल विद्युत परियोजना इसकी स्थापना 1948 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 104 मेगावाट बिजली मिलती है ।
6. स्वर्णरेखा जल विद्युत केंद्र :- स्वर्ण रेखा जल विद्युत केंद्र इसकी स्थापना 1982 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 130 मेगावाट बिजली मिलती है ।
7.कोन्नार जल विद्युत केंद्र :– कोन्नार जल विद्युत केंद्र इसकी स्थापना 1955 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 40,000 मेगावाट बिजली मिलती है ।
8. बोकारो जल विद्युत शक्ति :- बोकारो जल विद्युत शक्ति इसकी स्थापना 1967 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 385 मेगावाट बिजली मिलती है ।
9. मेथन जल विद्युत केंद्र:– मेथन जल विद्युत केंद्र इसकी स्थापना 1958 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 76,00 मेगावाट बिजली मिलती है ।
10. तिलैया जल विद्युत केंद्र:– तिलैया जल विद्युत केंद्र इसकी स्थापना 1953 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 60,000 मेगावाट बिजली मिलती है ।
11. बाल पहाड़ी जल विद्युत शक्ति ग्रह :– बाल पहाड़ी जल विद्युत शक्ति इसकी स्थापना 1959 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 20,000 मेगावाट बिजली मिलती है ।
12. बर्मी जल विद्युत शक्ति :- बर्मी जल विद्युत शक्ति इसकी स्थापना 1960 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 28,000 मेगावाट बिजली मिलती है ।
13. पंचेत जल विद्युत परियोजना :- पंचेत जल विद्युत परियोजना इसकी स्थापना 1960 मै किया गया था ओर यहाँ से झारखंड को 40,000 मेगावाट बिजली मिलती है ।
झारखंड मै ताप विद्युत के फायदे एंव नुकशान
फायदे |
नुकशान |
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ध्यान दे – झारखंड मै ताप विद्युत बहुत बड़ी मात्रा मै किया जाता है झारखंड मै चार ताप विद्युत उत्पादन करने वाले सयन्त्र है। जिससे झारखंड को लगभग 2000 मेगावाट बिजली मिलती है। लेकिन इसके बहुत नुकसान है। जैसे की ताप विद्युत सयन्त्र को चलाने के लिए बहुत मात्रा मै कोयला , ईंधन और पानी की जरूरत होती है। जिसके कारण झारखंड के कोयला का उत्पादन बहुत तेजी से किया जा रहा है। इससे झारखंड का कोयला भंडार मै कमी आ रही है एंव ताप विद्युत सयन्त्र को चलाने के लिए कोयला को जलाया जाता है। जिससे झारखंड मै वायु प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
झारखंड मै जल विद्युत के फायदे एंव नुकशान
फायदे |
नुकशान |
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ध्यान दे – देखा जाए तो जल विद्युत , ताप विद्युत से एक अच्छा ऊर्जा का स्रोत है। ये प्रदुषण रहित है । और इसका लागत भी काम है । लेकिन इसका एक बहुत बड़ी कमी है की ये निश्चित जगह पर ही इससे ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है। जबकि ताप विद्युत सयंत्र कही भी लगाया जा सकता है ।
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