झारखंड के महापुरुष ( Jharkhand ke mahapurush )
झारखंड के महापुरुष ( Jharkhand ke mahapurush ) जैसे तिलका मांझी, बुधु भगत, सिद्धू-कान्हु ,ठाकुर विशवनाथ सहदेव , नीलांबर पीतांबर, बिरशा मुंडा ,जतरा भगत, लायन्स अल्बर्ट एक्का आदि के बारे मै विस्तृत जानकारी ।
नाम | जन्म | विद्रोह | देहांत |
तिलका मांझी | 1750 | तिलका विद्रोह | 1785 |
बुधु भगत | 1792 | कोल विद्रोह | 1832 |
सिद्धू-कान्हु | —— | हूल आंदोलन | —— |
ठाकुर विशवनाथ सहदेव | 1817 | 1857 के विद्रोह | 1858 |
नीलांबर पीतांबर | —— | 1857 के विद्रोह | 1859 |
बिरशा मुंडा | 1875 | ———- | 1900 |
जतरा भगत | 1888 | टाना आंदोलन | 1917 |
लायन्स अल्बर्ट एक्का | 1942 | भारत चीन युद्ध | 1971 |
झारखंड के महापुरुष ( Jharkhand ke mahapurush )और उनके योगदान
तिलका मांझी
तिलका मांझी भारत के स्वधिनता संग्राम के सबसे पहले विद्रोही शहीद थे। आपको मै ये स्पस्ट कर देना चाहता हूँ की तिलका मांझी भारत के प्रथम शहीद थे । इंका जन्म 1750 ई को तिलकपुर गाँव मै हुआ था ओर तिलका मांझी एक संथाल परिवार से है । तिलका मांझी ने भागलपुर के बनचरीज़ोर मै तिलका आंदोलन का नेत्रत्व किया था ओर उनको अंग्रेज़ो व्दारा 1785 मै ही फांसी दे दिया गया ।
बुधु भगत
बुधु भगत भी झारखंड के महान स्वतंत्र सेनानी थे उनका जन्म 17 फरवरी 1792 को हुआ था । बुधु भगत को कोल विद्रोह का नायक कहा जाता है। इनका जन्म रांची के सिलगाई गाँव मै हुआ । बुधु भगत झारखंड के प्रथम आन्दोलकारी माने जाते है। मै आपको ये स्पस्ट कर देना चाहता की बुधु भगत एक ऐसे सेनानी है जिसे पकड़ने के लिए ब्रिटिश सरकार व्दारा 1000 रुपे का इनाम रखा गया था
सिद्धू-कान्हु
सिद्धू – कान्हु का जन्म संथाल परिवार मै हुआ था ओर संथाल परगना के भागनाडीह मै ही उनका जन्म हुआ था । ओर उनका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मै बहुत बड़ी भूमिका रही । उन्होने खासकर ब्रिटिश सरकार मै साहूकार ओर जमींदारो के खिलाफ हूल आंदोलन किया था जिसका नेत्रत्व सिद्धू – कान्हु कर रहे थे । सिद्धू कान्हु को बहराईत मै फांसी दे दिया गया।
ध्यान दे – आपको ये स्पस्ट कर देना चाहता हूँ की सिद्धू कान्हु दो भाई है
ठाकुर विशवनाथ सहदेव
ठाकुर विशवनाथ सहदेव का जन्म 12 अगस्त 1817 ई को हुआ था 1857 के विद्रोह के नायक ठाकुर विशवनाथ को कहा जाता है । इन्होने अपनी राजधानी सतरंजी से हटकर हटिया को अपनी राजधानी बनाया । ठाकुर विशवनाथ सहदेव ने 1855 ई मै अंग्रेज़ो के विरूद्ध विद्रोह का बिगुल फूंका था तथा वे स्वयं को एक स्वतंत्र राजा घोसीत कर दिया था । ओर इनको 1858 को रांची के जिला स्कूल मै फांसी दे दिया गया ।
नीलांबर पीतांबर
निलंबर पीतांबर इन्होने 1857 के विद्रोह मै चेरो जनजाति के राजा मेदनी राय के साथ मिलकर अंग्रेजोके खिलाफ संघर्ष किया निलांबर पीतांबर की गिरफ्तारी डाल्टन के व्दारा की गयी तथा इन्हे 8 जनवरी 1859 को फांसी दे दी गयी
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नबम्बर को 1875 को खूंटी जिले के उलीहातु गाँव मै हुआ था बिरसा मुंडा झारखंड के बहुत बड़े स्वतंत्रता सेनानी थे । उनके पिता का नाम सुगना मुंडा था । हम आपको ये स्पस्ट कर देना चाहते है की वे ईसाई धर्म से संबंध रखते है हालांकि वे जन्म से ईसाई नहीं थे उन्होने अपना धर्म परिबर्तन करवा लिया था, बिरसा मुंडा का ईसाई धर्म लेने के बाद उनका नाम मसीहदास रखा गया था । विरसा मुंडा एक खास देवता की पुजा करने की प्रथना करते थे जिसे आदिवासियो की भाषा मै सिंगबोगा कहा जाता था बिरसा मुंडा सिंग्बोंगा की पुजा करते थे एंव अपने समुदाय के लोगो को इसकी पुजा करने को भी कहते थे ।
जतरा भगत
जतरा भगत का जन्म 1888 ई को विशुनपुर प्रखण्ड के चिंगरी गाँव मै हुआ था । जतरा भगत टाना आंदोलन के नेता थे वे टाना आंदोलन के प्रमुख नेता थे एंव टाना आंदोलन को सफल बनाने के लिए उनका बहुत बड़ा योगदान था । टाना आंदोलन मूलत धार्मिक एंव राजनीतिक आंदोलन था उनकी देहांत 1917 को हुआ था
जयपाल सिंह
झारखंड राज्य आंदोलन का प्रणेता मरंग गोमके जयपाल सिंह का जन्म 3 जनवरी 1903 को खूंटी जिले मै टकरा गाँव मै हुआ था । ईसाई बनने के बाद उनका नाम ईश्वर दास रखा गया । जयपाल सिंह ने एम ए की परीक्षा ऑक्सफोर्ड से 1922 ई मै की 1982 के एम्स्टर्डम ओलोंपिक मै जयपाल सिंह के कप्तानी ने भारतीय हॉकी टिम ने स्वर्ण पदक जीता था उनको झारखंड का प्रथम खिलाड़ी कहा जा सकता है उनका देहांत 1970 को हुआ था मै आपको ये स्पस्ट कर देना चाहता हूँ की उनको मरंग गोमके के नाम से जाना जाता था ।
कार्तिक उरांव
कार्तिक उरांव का जन्म 1924 को हुआ अक्टूबर महीने के 29 तारीख को वे गुमला जिले थे ओर उनका जन्म भी गुमला के लिटटोली मै हुआ था कार्तिक उराव रॉयल कॉलेज साइन्स एंड टेच्नोलोजी , लंदन से एम एस सी इंजीनिरिंग की डिग्री प्राप्त की कार्तिक उरांव विशव के सबसे बड़े प्रमुख डिजाईनरो मै से एक थे कार्तिक उराव ने अखिल भारतीय आदिवासी परिषद की स्थापना की
शिबू सोरेन
झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता शिबू सोरेन थे उनका जन्म 1942 को नेमरा ( रामगढ़ ) मै हुआ था । इन्होने प्रथम आंदोलन महाजनो के खिलाफ किया था , शिबू सोरेन को चीरूडीह नरसंघार ले मामले मैं 1975 ई मै भागोढ़ा घोसित किया गया था शिबू सोरेन से बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की निव डाली ओर उसके संस्थापक महासचिब बने एंव झारखंड को एक राज्य का दर्जा दिलाने मै शिबू सोरेन का बहुत बड़ा योगदान है। शिबू सोरेन कई बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके है। इसके बारे मै आप हमरे पहले पोस्ट को पढ़ सकते है
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